Friday, 15 August 2014

PRAPTI



प्राप्ति 

जब जब मेघो ने ववर्षा कर,
धरती का आँचल भिगाया है,
उन अमृत रूपा बूंदो में,
हे ईश तुम्ही को पाया है.
जब जब धरती की गोद से,
एक नन्ही कोपल फूटी है,
उस जीवन रूपा कोपल में,
हे ईश तुम्ही को पाया है.
जब जब किसी भूके गरीब नें,
खाने का निवाला उठाया है,
उस क्षुधा शांत करने वाले में,
हे ईश तुम्ही को पाया है.
जब जब अंधियारे इस मन में,
आशा का डीप जलाया है,
उस मार्गदर्शिनी ज्योति में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
जब भी किसी नन्हे बालक को,
माँ से हठ  करते देखा है,
उसके मन की चंचलता में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
जब थक कर चूर हुआ मजदूर, 
बच्चे की बीमारी में जाएगा है,
उसकी नींद से बोझिल पलकों में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
जब अभाव में बच्चो का 
 भूखी सो जाती है,
उसकी त्याग भरी ममता में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
बेटे की तरक्की पर मैंने,
जब पिता को इतराते\देखा है,
गौरवान्वित उसकी आँखों में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
सब कहते तुम मंदिर में हो, 
मस्जिद में, गुरुद्वारे में,
मने जीवन के हर पल में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
इस धरती के हर कण में,
अम्बर से आती हर एक किरण में,
फूलों से महकी फुलवारी में,
नदिया की कल कल प्यारी में,
 तुम व्यापक सर्वत्र प्रभु,
ये है उपकार तुम्हारा,
साडी त्रुटियों को अनदेखा कर,
तुमने हमको अपनाया है. 


- निमीशा 

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