Friday, 15 August 2014



मुझपर तीर चलाने वालो ,
सुन लो शमशीर उठाने वालो,
कुछ बूंदो के बह जाने से,
सागर नहीं मरा करता है,

मेरे सपनो की फुलवारी से,
फूल चुरा ले जाने वालो,
कुछ फूलो के मुरझाने से,
उपवन नहीं मारा करता है,

मेरी खुशियो को सूना कर,
अश्रु मुझे दे जाने वालो,
कुछ लेहरो के टकराने से,
साहिल नहीं डिगा करता है,

मुझसे नाता तोड़ आज,
साथ छोड़ कर जाने वालो,
कुछ पत्तो के झड़ जाने से,
तरुवर नहीं मरा करता है.

मैं पास तुम्हारे छाया सम ,
उतने तुम मुझसे दूर विषम,
मुझसे मेरी छाया को लेकर,
दूर खड़े मुस्काने वालो,
जानो छाया के चूत जाने से,
सूरज नहीं मारा करता है. 

-निमीशा 

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