Friday, 15 August 2014

HAR EK DOST JARURI HOTA HAI

In the walk of life,
no matter how strong you are,
it always feels good when....
there is a shoulder to cry on
on facing problems,
no matter how brave you are,
it always feels good when....
there is someone to protect you,
during the hard times,
no matter how tough you are,
it always feels good when....
there is someone to say "dont worry chill maar"
in the walk of life,
when you are alone,
it always feels good when....
there is someone to give a hand to hold,
in the moments of failure,
when you are sad,
it always feels good when....
there is someone to say "kya hua batana hai ya drama karna hai?"
when success kneels to you,
whenever you achieve something,
it always feels good when....
you see dancing people screamin "chal bey kajus party de"
in this life,
the best thing to have is
FRIENDS.

- NIMIISHA



मुझपर तीर चलाने वालो ,
सुन लो शमशीर उठाने वालो,
कुछ बूंदो के बह जाने से,
सागर नहीं मरा करता है,

मेरे सपनो की फुलवारी से,
फूल चुरा ले जाने वालो,
कुछ फूलो के मुरझाने से,
उपवन नहीं मारा करता है,

मेरी खुशियो को सूना कर,
अश्रु मुझे दे जाने वालो,
कुछ लेहरो के टकराने से,
साहिल नहीं डिगा करता है,

मुझसे नाता तोड़ आज,
साथ छोड़ कर जाने वालो,
कुछ पत्तो के झड़ जाने से,
तरुवर नहीं मरा करता है.

मैं पास तुम्हारे छाया सम ,
उतने तुम मुझसे दूर विषम,
मुझसे मेरी छाया को लेकर,
दूर खड़े मुस्काने वालो,
जानो छाया के चूत जाने से,
सूरज नहीं मारा करता है. 

-निमीशा 

AARZOO



आरज़ू 

न ही देवी कहो मुझको ऐ दोस्तों,
मैं हूँ इंसान मुझे इंसान ही रहने दो,
पूजना चाहो तो पूज लो इस तरह,
जिंदगी अपनी शर्तो पे जी लेने दो,
माँ हूँ मैं, मैं हूँ बेटी, बेहेन भी मैं हूँ,
हूँ मैं पत्नी कभी मैं बानी प्रेमिका,
आंसू आँखों में मेरे कोई गम नहीं,
होठो पर मोती सी सज रही सिस्किया. 
साथ ना दे सको तो कोई गम नहीं,
पर मुझे मेरी राहो पे चलने तो दो,
पूजना चाहो तो पूज लो इस तरह,
जिंदगी अपनी शर्तो पे जी लेने दो,
कभी सीता बनाकर तजी मैं गयी,
आंसुओ में नहा द्रौपदी मैं हुई,
जब मैं मीरा बानी तो भी विष ही पिया,
और अहिल्या सी पत्थर बनायी गयी,
खुद से बेहतर मुझे न कहो गम नहीं,
पर मैं तुमसे नहीं काम ज़रा मान लो,
पूजना चाहो तो पूज लो इस तरह,
जिंदगी अपनी शर्तो पे जी लेने दो,
शक्ति मैं हूँ तो मुझको डराते हो क्यों?
लक्ष्मी हूँ मैं तो मुझको जलाते हो क्यों?
जो मैं जननी हूँ तो मुझसे तुम ये कहो,
मेरे जीवन की ज्योति बुझते हो क्यों?
हूँ मैं विद्या स्वयं फिर भी पढ़ ना सकु,
मुझको पर्दो में अब भी छुपाते हो क्यों?
मैं हूँ सीता अगर राम तुम भी तो हो,
मैं हूँ राधा तो घनश्याम तुम भी तो हो,
मर्यादाओ में रहो तुम सदा, द्रौपदी सी सुरक्षा किसी की करो,
मैं हूँ शक्ति तो शिव के हो अवतार तुम,
मैं हूँ लक्ष्मी तो विष्णु के समरूप हो,
हूँ मैं मरयम तो ईसा के पदचिन्हो पर,
चलने की एक कोशिश जरा तुम करो,
है ये राहें कठिन, है मुझे ये खबर,
मेरी कांटो भरी है जिंदगी की डगर,
मेरी राहो से कांटे न चुनो गम नहीं,
पर मुझे इनसे दामन बचाने तो दो,
पूजना चाहो तो पूज लो इस तरह,
जिंदगी अपनी शर्तो पे जी लेने दो,


-निमीशा 

PRAPTI



प्राप्ति 

जब जब मेघो ने ववर्षा कर,
धरती का आँचल भिगाया है,
उन अमृत रूपा बूंदो में,
हे ईश तुम्ही को पाया है.
जब जब धरती की गोद से,
एक नन्ही कोपल फूटी है,
उस जीवन रूपा कोपल में,
हे ईश तुम्ही को पाया है.
जब जब किसी भूके गरीब नें,
खाने का निवाला उठाया है,
उस क्षुधा शांत करने वाले में,
हे ईश तुम्ही को पाया है.
जब जब अंधियारे इस मन में,
आशा का डीप जलाया है,
उस मार्गदर्शिनी ज्योति में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
जब भी किसी नन्हे बालक को,
माँ से हठ  करते देखा है,
उसके मन की चंचलता में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
जब थक कर चूर हुआ मजदूर, 
बच्चे की बीमारी में जाएगा है,
उसकी नींद से बोझिल पलकों में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
जब अभाव में बच्चो का 
 भूखी सो जाती है,
उसकी त्याग भरी ममता में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
बेटे की तरक्की पर मैंने,
जब पिता को इतराते\देखा है,
गौरवान्वित उसकी आँखों में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
सब कहते तुम मंदिर में हो, 
मस्जिद में, गुरुद्वारे में,
मने जीवन के हर पल में,
हे ईश तुम्ही को पाया है,
इस धरती के हर कण में,
अम्बर से आती हर एक किरण में,
फूलों से महकी फुलवारी में,
नदिया की कल कल प्यारी में,
 तुम व्यापक सर्वत्र प्रभु,
ये है उपकार तुम्हारा,
साडी त्रुटियों को अनदेखा कर,
तुमने हमको अपनाया है. 


- निमीशा 

PUKAAR

पुकार 


कभी कभी ये क्षुब्ध मन कुछ यूं कहता है,
क्या है कोई जो इस नभ में छुपकर रहता है?
कहते है सब के है ऊपर भगवान कहीं,
तो बात आज करना चहु सुन लो मेरी,
जीवन से खुशियाँ लेकर, ई इंसानो को दुःख देकर,
अपनी रचना को सताओगे,
तो सुख तुम भी क्या पाओगे?
पूजें तुमको हम हर एक पल,
मानें तुमको हम हर एक क्षण,
फिर भी क्यों हो करते तुम,
जीवन से खुशियो का भक्षण,
जो यूं पत्थर बन जाओगे,
तो क्या पूजन करवाओगे?
धरती पर होते पाप हज़ार,
तुम क्यों चुप साधे  रहे निहार?
कष्ट बढ़ रहे मानवता हो रही है काम,
खुशिया काम है जीवन में कुछ ज्यादा है गम,
पर बहुत हुआ अब समय हुआ है बड़ा विकत,
आ जाओ अब धरती पे हो जाओ प्रकट,
कर दो विनाश तुम  हर दानव का,
लौटाओ फिर मानव के मन में मानवता,
जो अब दर्शन दे जाओगे,
सोती श्रद्धा को जगाओगे,
अपनी पहचान कराओगे,
तब ही ईश्वर केहलाओगे. 

-निमीशा 

pyaas

प्यास 
अम्बर प्यासा धरती प्यासी,
प्यासा फिरता जग का हर कण,
तुम्ही बताओ इस धरती पर,
प्यास बुझी है कभी किसी की?
सोने के अम्बार मिल गए,
चांदी की पर्वत मालाएँ ,
अंगणित हीरे मोती पाकर,
तुम्ही बताओ इस वैभव से,
भूख मिटी है कभी किसी की?
इस दौलत को खाया किसने,
पिया है किसने,
होड़ लगी धन संचय की फिर भी,
तुम्ही बताओ इस ठगनी से,
प्यास बुझी है कभी किसी की?
ओस कणो को व्यर्थ चाटता,
राही प्यास भड़क जायेगी,
हर पल प्यास, हर क्षण प्यासा,
तुम्ही बताओ शैतानी से,
प्यास बुझी है कभी किसी की?
मृग तृष्णा में दौड़ा फिरता,
तनिक तृप्ति भी हाथ ना आई,
व्यर्थ गवाया जीवन अपना,
तम्ही बताओ अति लिप्सा से,
प्यास बुझी है कभी किसी की?
बाहर नहीं है कुछ भी प्यारे,
अन्तः में ही प्रवह मान है,
आत्म तत्व का सुन्दर श्रोता,
बिना खोज के तुम्हे बताओ,
खोज मिटी है कभ किसी की?

-निमिषा