Tuesday 9 July 2013

chaahat

चाहत 
जब चाह कर भी तुमको,
 ख्वाबो को हटाना  मुमकिन न हो,
पलकों को बंद करना ही,
 भूल जाना बेहतर होगा,
तन्हाई में भी साथ चलने,
 जब लगोगे तुम मेरी,
भीड़ में खुद को गुमाना,
 तब कही बेहतर होगा,
दर्द में जब आँख से,
 आंसू बनकर तुम गिरो,
ग़म को सहकर मुस्कुराना,
 तब कही बेहतर होगा,
ख्वाहिशो में तुमको पाना,
 लाज़मी हो जब कभी,
दिल में ख्वाहिश को दबाना,
 तब कही बेहतर होगा,
कशमकश हो गर तुम्हे,
 मेरे किसी भी लफ्ज़ से,
अलफ़ाज़ मेरे मेरा खुद से ही,
 मिटाना बेहतर होगा,
तकदीर में मेरी नहीं थे तुम,
 कभी ये सोचना,
समझा के दिल को युही,
 बहलाना कही बेहतर होगा।
-nimiisha 

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