Tuesday 2 July 2013

andhiyaara

        अंधियारा 


दिन ख़त्म हो रात आयी,
 तारो की छाव  साथ लायी ,
चाँद की शीतलता भी,
 सूरज की तपन  लगती है,
अँधियारा है बाहर और,
 अंधियारा कुछ खयालो में,
एक अनजाना सा खौफ़ आज ,
 जेहेन में घर करता नज़र आता है,
विचित्र सा एक डर,
 मन को आज डराता है,
डर अपनों को खोने का,
डर तनहा होने का,
डर यादो के धुंधलाने का,
डर वादों के तोड़े जाने का,
सहमे हुए है ख्वाब ,
ख्वाहिशे  ख़त्म हो चली ,
अपराधी खुद को पाया है,
ग्लानी में खुद को जलाया है,
आंसुओ से भीग है दामन,
अंधियारों में डूबा है मन,
आज कटघरे में वो रिश्ते है,
जो कभी जीवन की थे पहचान,
सही गलत के पैमाने  पर तुलता,
यादो की रेत  का हर एक निशान ,
ये रात तो ख़त्म होगी,
एक सुबह फिर से आएगी,
पर मेरे जीवन का अंधियारा,
क्या कभी मिटा ये पाएगी ?



-nimiisha 

No comments: