Thursday 18 June 2015

तुझसे क्या कह रहा है ,
दिल मेरा सुन ज़रा ,
ना हो सकेगा कभी,
धड़कनो से जुदा। 
तुझसे ख्वाबो में करती,
हूँ मैं बातें सदा,
फिर भी कहती नहीं क्यों,
जाने तुझसे भला,
राधा से मंन में मेरे,
मोहन सा तू बसा,
न हो सकेगा कभी,
धड़कनो से जुदा। 
मेरी सांसो की लय में,
तेरा ही नाम है,
आँखों में बस गया है,
तू वो घनश्याम है,
तन में रमा है मेरे,
तू मेरी आत्मा,
न हो सकेगा कभी,
धड़कनो से जुदा। 



-निमीशा 

Wednesday 11 February 2015

diiwangi......

ये दीवानगी है मेरी, या के है याद तेरी,
आईने में भी मुस्कुरा रहा है तू मेरे,
मेरी तन्हाईयों की अनकही सदा हो तुम, 
जग के काटी थी जो उस रात की वजह हो तुम,
ये तेरी शख्सियत है,
या है बेखुदी मेरी,
हर एक कलाम में समा रहा है तू मेरे,
तू  मेरा नाम ले तो दुनिया खूबसूरत है,
तू मेरे साथ हो तो और क्या जरूरत है,
मेरी आँखों में रहते,
सपनो में समय हो तुम,
हर कदम साथ चल रहे हो ज़िन्दगी में मेरी 
जब करू बंद पलके तो भी तू नज़र आये,
दुनिया की भीड़ में दिल तुझको देखना चाहे,
दिल्लगी नाम दू मैं,
या के  मोहोब्बत मेरी,
मुझसे सपने भी अब चुरा रहा है तू मेरे,
ये दीवानगी है मेरी या के है याद तेरी,
आईने में भी मुस्कुरा रहा है तू मेरे. 

-- निमीशा 


मैं एक घाना बरगद का पेड़ ,
सदियों से मैं इसी राह पर रहा खड़ा ,
आते जाते पंथी देखे,
उड़ते गाते पंछी देखे,
सबकी आँखों में सपने थे उची उड़ान के,
उन सपनो का साक्ष्य अकेला बना यहाँ,
मैं एक घना बरगद का पेड़,
सदियों से मैं इसी राह पर रहा खड़ा,
थी अगणित जो मुझपर लिपटी थी लताएं,
फिर भी उस नन्हे से बीज को,
दे आश्रय मैंने किया बड़ा,
मैं एक घना बरगद का पेड़,
सदीओ से मैं इसी राह पर रहा खड़ा.