Wednesday 1 January 2014

iltjaa

इल्तज़ा 

आँखों में आंसू बन रहना चुन लिया है तुमने जब,
है इल्तजा कि अब मेरे ख्वाबो में आना छोड़ दो,
जब जिंदगी से दूर जाने का किया है फैसला,
आँखों में रेह्कर मेरी पलकों को भिगाना छोड़ दो,
जब साथ चलना भी नहीं तुमको गवारा तो सुनो,
परछाई सा मिलने बिछड़ने का छलावा छोड़ दो,
कर चले हो जब अकेला तिमिर में इस रूह को,
उम्मीद के जुगनू सा अब तुम टिमटिमाना छोड़ दो,
हमसे सारे हक़ और औहदे  छीन  जब तुम ले गए,
दरख्वास्त है के हमपे भी अब हक़ जताना छोड़ दो,
गर तुम्हे है फ़िक्र मेरे दर्द कि तो बस इतना करो,
दर्पण में मेरे बैठ कर तुम मुस्कुराना छोड़ दो…। 

- निमीशा 


3 comments:

Anonymous said...

One of my fav

Anonymous said...

bhut khooob..nihu..

nimiisha said...

thanx dear :)